शब्‍दार्थौ

सहितौ

काव्‍यम्

शब्‍दों के साथ अर्थ का भावबोध हो वह काव्‍य है।

साहित्‍य से शुरुआत

जबकि प्रत्‍येक देश का साहित्‍य वहाँँ की जनता की चित्‍तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब हाेता है, तब यह निश्चित है कि जनता की चित्‍तवृत्ति के परिवर्तन के साथ-साथ साहित्‍य के स्‍वरूप में भी परिवर्तन हाेता चला जाता है। आदि से अंत तक इन्‍हीं चित्‍तवृत्तियों की परंपरा को परखते हुए साहित्‍य परंपरा के साथ उनका सामंजस्‍य दिखाना ही ‘साहित्‍य का इतिहास’ कहलाता है। 

Acharya Ramchandra Shukla

आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल

साहित्य की बहुत-सी परिभाषाएँ की गई हैं, पर मेरे विचार से उसकी सर्वोत्तम परिभाषा ‘जीवन की आलोचना’ है। चाहे वह निबंध के रूप में हो, चाहे कहानियों के या काव्य के, उसे हमारे जीवन की आलोचना और व्याख्या करनी चाहिए।

Premchand

मुंशी प्रेमचंद

Poetry is an imitation of nature through medium of language.                 
साहित्‍य जीवन और जगत का कलात्‍मक और भावनात्‍मक पुन:सृजन है।
Aristotle

अरस्‍तु

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